संयुक्त राष्ट्र में जम्मू-कश्मीर से जुड़ी पाकिस्तानी टिप्पणी को खारिज करते हुए राजदूत पी हरीश ने कहा, पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने एक बार फिर भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पर अनुचित टिप्पणी की है। इस तरह बार-बार संदर्भ देने से उनके अवैध दावे मान्य नहीं हो सकते। न ही पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद को उचित ठहराया जा सकता है।
पाकिस्तान को खाली करना ही होगा अवैध कब्जा
भारत ने दो टूक लहजे में एक बार फिर स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के क्षेत्र पर अवैध रूप से कब्जा रखा है, जिसे उसे खाली करना ही होगा। बकौल पी हरीश, ‘हम पाकिस्तान को सलाह देंगे कि वह अपने संकीर्ण और विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र जैसे मंच का ध्यान भटकाने की कोशिश न करे।’ उन्होंने कहा, भारत इस मामले में अधिक विस्तृत उत्तर देने के अधिकार का प्रयोग करने से परहेज करेगा।
#WATCH | Permanent Representative of India to the United Nations, Ambassador Harish P said, “India is compelled to note that the delegate of Pakistan has yet again resorted to unwarranted remarks on the Indian Union Territory of Jammu and Kashmir. Such repeated references neither… pic.twitter.com/SiGknVNsoX
— ANI (@ANI) March 25, 2025
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सुरक्षा मिशनों को नई चुनौतियों के अनुसार अनुकूलित करने की आवश्यकता पर दिया जोर
इस सत्र में, जो शांति स्थापना में सुधारों पर केंद्रित था, भारत ने सुरक्षा मिशनों को नई चुनौतियों के अनुसार अनुकूलित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। पी हरीश ने जनादेश को आकार देने में सेना और पुलिस योगदान देने वाले देशों की भूमिका पर प्रकाश डाला और परिचालन आवश्यकताओं से मेल खाने के लिए ‘पर्याप्त धन’ का आह्वान किया।
महिलाओं के बिना शांति स्थापना संभव नहीं
हरीश ने महिला शांति सैनिकों की भूमिका पर बात की। उन्होंने कहा कि महिलाओं के बिना शांति स्थापना संभव नहीं है। उन्होंने कहा, ‘अब यह सवाल नहीं है कि महिलाएं शांति स्थापना कर सकती हैं या नहीं। बल्कि, यह इस बारे में है कि क्या महिलाओं के बिना शांति स्थापना हो सकती है।’
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UN शांति स्थापना के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की
भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के प्रति अपनी ‘अटूट प्रतिबद्धता’ की पुष्टि की और सुरक्षा परिषद में सुधारों का आह्वान किया, ताकि निकाय को ‘वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताओं का अधिक प्रतिबिंबित और प्रतिनिधि’ बनाया जा सके।
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