आयव्ही इस्टेट रोड पर ड्रेनेज लाइन की लंबे समय से चली आ रही समस्या पर आखिरकार प्रशासन ने काम शुरू कर दिया है। लेकिन इस काम के नाम पर आंदोलन का नाटक कर खुद की प्रसिद्धि पाने का प्रयास करने का आरोप स्थानीय नागरिकों ने अनिल मिश्रा पर लगाया है। “यह आंदोलन नहीं, सिर्फ स्टंटबाजी है,” ऐसे तीखे शब्दों में मिश्रा की निंदा की जा रही है।
पिछले कई दिनों से सड़कों पर बहते गंदे पानी के कारण नागरिकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा था। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए स्थानीय किसान, सोसायटी प्रतिनिधि, जनप्रतिनिधि और प्रशासन लगातार संवाद कर रहे थे। इसी बीच अचानक अनिल मिश्रा ने उपवास शुरू कर दिया और मीडिया में खबरें आते ही स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए।
“मिश्रा को काम शुरू होने की जानकारी थी, फिर भी किया नाटक” – सचिन माळी
फेडरेशन के अध्यक्ष सचिन माळी ने कहा,“हम एक महीने से प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से बातचीत कर यह मुद्दा हल करने की कोशिश कर रहे थे। मिश्रा को जब पता चला कि काम शुरू होने वाला है, तब उन्होंने उपवास का नाटक कर स्टंटबाजी शुरू की। हमारी सड़क की समस्या हम खुद सुलझाएंगे। पहले वे अपनी सोसायटी की समस्याएं सुलझाएं!”
“मुद्दा एक दिन का नहीं था, मेहनत हमारी थी” – जमुना सांगळे
स्थानीय नागरिक जमुना सांगळे ने कहा,“हमारे इलाके की 10–12 सोसायटीज को गंदे पानी की गंभीर समस्या थी। इस पर हम नागरिकों, किसानों और जनप्रतिनिधियों ने लगातार फॉलोअप किया। सिर्फ एक दिन उपवास कर पोस्टर लगाकर श्रेय लेने की कोशिश जनता को भ्रमित करने वाली है।”
“यह उपवास काम के लिए था या अड़चन के लिए?” – शरद चौघुले
स्थानीय रहिवासी शरद चौघुले ने गंभीर सवाल उठाया“ड्रेनेज का काम शुरू होने वाला था, ये पहले से तय था। अगर उन्हें समस्या सच में थी, तो एक साल या एक महीना पहले आंदोलन करते। अब सवाल ये है कि यह उपवास काम के लिए था या फिर उसे रोकने के लिए?”
प्रशासन द्वारा काम शुरू किए जाने से नागरिकों को जरूर राहत मिली है, लेकिन श्रेय की राजनीति ने अब क्षेत्र में नया विवाद खड़ा कर दिया है।
जब जनप्रतिनिधि, प्रशासन और नागरिक मिलकर समस्या सुलझाने का प्रयास कर रहे थे, तब एकतरफा स्टंटबाजी करना कितना सही – यह सवाल अब हर नागरिक के मन में उठ रहा है।